वे आधार जिन पर न्यायालय द्वारा हिन्दू विधि के अंतर्गत तलाक किया जा सकता है-
जारता (Advltery)-
जब पति अथवा पत्नी क्रमश अपनी पत्नी और पति से भिन्न किसी व्यक्ति से यौन सम्वन्ध बनाता है तो यह जारता की श्रेणी में आएगा। विवाह संवन्धो में विच्छेद का यह एक प्रमुख कारण है।
क्रूरता (Cruelity)-
यदि एक पक्षकार दूसरे पक्षकार के साथ क्रूरता का व्यवहार करता है जो अमानवीय है। यह Divorce का आधार हो सकता है।
अभित्याग (Desertion)-
यह विवाह विच्छेद का अक्सर देखे जाने वाला आधार है।
धर्म परिवर्तन (Conversion)-
प्रत्युत्तरदाता धर्म परिवर्तन द्वारा हिन्दू नहीं रह गया तो याची इस आधार पर तलाक की डिक्री प्राप्त कर सकता है।
मस्तिष्क की विकृति-
यदि दूसरा पक्षकार मस्तिष्क विकार से इस हद तक पीड़ित रहा है की याची से युक्तियुक्त रूप से यह आशा नहीं की जा सकती की वह प्रत्युत्तरदाता के साथ रहे तब याची तलाक की डिक्री प्राप्त करने के लिए अर्जी फ़ाइल कर सकता है।
कोढ़ (Liprosy)-
विवाह के एक पक्षकार का उग्र और असाध्य कुष्ठ रोग से पीड़ित रहना दूसरे पखकर को विवाह-विच्छेद की डिक्री प्राप्त करने का अधिकारी बनाता है।
यौन रोग-
विवाह का कोई पक्षकार दूसरे पक्षकार के संक्रामक यौन रोग से पीड़ित होने के आधार पर तलाक की डिक्री प्राप्त कर सकता है।
संसार परित्याग-
जब विवाह का कोई पक्षकार सन्यास धारण कर लेता हो तो दूसरा पक्षकार इस आधार पर तलाक की डिक्री प्राप्त कर सकता है।
अंतिम शब्द-
आज मेंने आपको तलाक के सभी आधारो के बारे में विस्तार से सरल भाषा में बताने का प्रयास किया है अगर आपका कोई सुझाब या सवाल हो तो कमेंट करके बता या पुछ सकते है।
Meri shadi 2013 mai hui thi jisme ladki mei mastiksh vikar jesi problum hai or mene talakh ke liye apil bhi ki par mera talak na manjur kar diya gaya
आपके द्वारा पेश किए गए सबूतों को देखने और आपके और आपके गवाहों के बयानों को देखने के बाद ही इस पहलू में एक निश्चित राय संभव है। इसलिए आपको दोनों पक्षों के गवाहों के बयानों की प्रतियों और फैसले की प्रति के साथ दोनों पक्षों द्वारा पेश किए गए सबूतों के लिए आवेदन करना होगा। और हमें भेजें ताकि हम आपके मामले के सभी बिंदुओं का अध्ययन कर सकें। यदि हम एक निश्चित बिंदु तक पहुँचते हैं, तो हम निश्चित रूप से आपकी मदद कर सकते हैं।