IPC 425 IN HINDI- रिष्टि
धारा 425 क्या है- “जो कोई इस आशय से, या यह सम्भाव्य जानते हुए कि, वह लोक को या किसी व्यक्ति को सदोष हानि या नुकसान कारित करे, किसी सम्पत्ति का नाश या किसी सम्पत्ति में या उसकी स्थिति में ऐसी तब्दीली कारित करता है, जिससे उसका मूल्य या उपयोगिता नष्ट या कम हो जाती है, या उस पर क्षतिकारक प्रभाव पड़ता है, वह “रिष्टि” करता है”।
स्पष्टीकरण 1 – रिष्टि के अपराध के लिए यह आवश्यक नहीं है कि अपराधी क्षतिग्रस्त या नष्ट सम्पत्ति के स्वामी को हानि या नुकसान कारित करने का आशय रखे। यह पर्याप्त है कि उसका यह आशय है या वह यह सम्भाव्य जानता है कि वह किसी सम्पत्ति को क्षति करके किसी व्यक्ति को, चाहे वह सम्पत्ति उस व्यक्ति की हो या नहीं, सदोष हानि या नुकसान कारित करे ।
स्पष्टीकरण 2 – ऐसी सम्पत्ति पर प्रभाव डालने वाले कार्य द्वारा, जो उस कार्य को करने वाले व्यक्ति की हो, या संयुक्त रूप से उस व्यक्ति की और अन्य व्यक्तियों की हो, रिष्टि की जा सकेगी।
दृष्टांत
(क) य की सदोष हानि कारित करने के आशय से य की मूल्यवान प्रतिभूति को क स्वेच्छया जला देता है। क ने रिष्टि की है।
(ख) य की सदोष हानि करने के आशय से, उसके बर्फ घर में क पानी छोड़ देता है. और इस प्रकार बर्फ को गला देता है। क ने रिष्टि की है।
(ग) क इस आशय से य की अंगूठी नदी में स्वेच्छया फेंक देता है कि य को तद्द्द्वारा सदोष हानि कारित करे। क ने रिष्टि की है।
(घ) क यह जानते हुए कि उसकी चीज वस्त उस ऋण की तुष्टि के लिए जो य को उस द्वारा शोध्य है, निष्पादन में ली जाने वाली है, उस चीज-बस्त को इस आशय से नष्ट कर देता है कि ऐसा करके ऋण की तुष्टि अभिप्राप्त करने में य को निवारित कर दे और इस प्रकार य को नुकसान कारित करे। क ने रिष्टि की है।
(ङ) क एक पोत का बीमा कराने के पश्चात् उसे इस आशय से कि बीमा करने वालों को नुकसान कारित करे, उसको स्वेच्छया संत्यक्त करा देता है। क ने रिष्टि की है।
(च) य को, जिसने बाटमरी पर धन उधार दिया है, नुकसान कारित करने के आशय से क उस पोत को संत्यक्त करा देता है। कने रिष्टि की है।
Also read-IPC SECTION 304 A IN HINDI
IPC 425 EXPLANATION IN HINDI (आईपीसी 425 क्या है?)
IPC 425 के अनुसार “अगर कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को हानि पाहुचाता है या इस प्रकार का कार्य करता है जिससे वह उस संपत्ति के मूल्य में कमी कर दे और यह कमी करके वह उस व्यक्ति को हानि देता है जो उस संपत्ति का मालिक है या उस संपत्ति में अपना हक रखता है तो वह धारा 425 के अंतर्गत अपराध करता है। तथा सज़ा उसे धारा 426 के तहत दी जाती है।
धारा | अपराध | दंड | प्रक्रति | जमानत | विचारण |
425,426 | रिष्टि करना | 3 माह का कारावास या जुर्माना या दोनों | असंज्ञेय | जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट |
धारा 426 में सज़ा क्या है? Punishment in IPC Section 426 –
इस धारा के अंतर्गत अपराधी को 3 माह का कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
धारा 425, 426 में जमानत कैसे मिल सकती है?
धारा 425, 426 में किया गया अपराध असंज्ञेय प्रवृत्ति का जमानतीय अपराध है और इस धारा के अंतर्गत अपराधी को किसी भी मजिस्ट्रेट के द्वारा जमानत दी जा सकती है।
अंतिम शब्द- हमको उम्मीद है की आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आई होगी आज हमने आपको धारा 425 रिष्टि और 426 रिष्टि के लिए सज़ा। के बारे में बताया है आगे भी हम इस प्रकार आपको IPC, CRPC और लॉं से संवन्धित जानकारी देते रहेगे अगर आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आई हो तो कृपया इसे share करे। धन्यबाद।
आईपीसी 425 क्या है?
अगर कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को हानि पाहुचाता है या इस प्रकार का कार्य करता है जिससे वह उस संपत्ति के मूल्य में कमी कर दे और यह कमी करके वह उस व्यक्ति को हानि देता है जो उस संपत्ति का मालिक है या उस संपत्ति में अपना हक रखता है तो वह धारा 425 के अंतर्गत अपराध करता है। तथा सज़ा उसे धारा 426 के तहत दी जाती है।
धारा 426 में सज़ा क्या है?
इस धारा के अंतर्गत अपराधी को 3 माह का कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।