IPC की धारा 101- कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है।
धारा 101 के अनुसार ” यदि अपराध पूर्वगामी अंतिम धारा में प्रगणित भांतियों में से किसी भांति का नहीं है, तो शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार हमलावर की मृत्यु स्वेच्छया कारित करने तक का नहीं होता, किंतु इस अधिकार का विस्तार धारा 99 में वर्णित निर्बन्धनों के अध्यधीन हमलावर की मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि स्वेच्छया कारित करने तक का होता है।
IPC SECTION 101 Explanation in Hindi
अगर हम साधारण शब्दो में कहे तो भारत में सभी लोगो को अपनी आत्मरक्षा करने का आधिकार प्राप्त है इसी के अंतर्गत आईपीसी की धारा 101 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने पर हमला करने वाले या किसी प्रकार की घोर हानि करने वाले व्यक्ति को अपना बचाव करते समय मृत्यु कारित करने का नहीं बल्कि धारा 99 में बर्णित अपराध के अधीन मृत्यु से भिन्न किसी प्रकार की हानि कारित हो जाती है इसी का वर्णन इस धारा में किया गया है।
अंतिम शब्द- हमको उम्मीद है की आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आई होगी आज हमने आपको धारा 101 के बारे में बताया है आगे भी हम इस प्रकार आपको IPC, CRPC और लॉं से संवन्धित जानकारी देते रहेगे अगर आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आई हो तो कृपया इसे share करे। धन्यबाद।