IPC 299 TO 302 IN HINDI | आईपीसी 299 से 302 तक व्याख्या हिन्दी में।
IPC 299 IN HINDI | आईपीसी की धारा 299 क्या है?
आईपीसी की धारा 299 के अनुसार “जो कोई मृत्यु कारित करने के आशय से, या ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से जिससे मृत्यु कारित हो जाना सम्भाव्य हो, या यह ज्ञान रखते हुए कि यह सम्भाव्य है कि वह उस कार्य से मृत्यु कारित कर दे, कोई कार्य करके मृत्यु कारित कर देता है, वह आपराधिक मानव वध का अपराध करता है”।
दृष्टांत-
(क) क एक गड्डे पर लकड़ियां और घास इस आशय से बिछाता है कि तद्वारा मृत्यु कारित करे या यह ज्ञान रखते हुए बिछाता है कि सम्भाव्य है कि तद्द्वारा मृत्यु कारित हो । य यह विश्वास करते हुए कि वह भूमि सुदृढ़ है उस पर चलता है, उसमें गिर पड़ता है और मारा जाता है। क ने आपराधिक मानव वध का अपराध किया है।
(ख) क यह जानता है कि य एक झाड़ी के पीछे है । ख यह नहीं जानता। य की मृत्यु करने के आशय से या यह जानते हुए कि उससे य की मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है, ख को उस झाड़ी पर गोली चलाने के लिए क उत्प्रेरित करता है। ख गोली चलाता है और य को मार डालता है। यहां, यह हो सकता है कि ख किसी भी अपराध का दोषी न हो, किन्तु क ने आपराधिक मानव वध का अपराध किया है।
(ग) क एक मुर्गे को मार डालने और उसे चुरा लेने के आशय से उस पर गोली चलाकर ख को, जो एक झाड़ी के पीछे है, मार डालता है, किन्तु क यह नहीं जानता था कि ख वहां है। यहां, यद्यपि क विधिविरुद्ध कार्य कर रहा था, तथापि, वह आपराधिक मानव वध का दोषी नहीं है क्योंकि उसका आशय ख को मार डालने का, या कोई ऐसा कार्य करके, जिससे मृत्यु कारित करना वह सम्भाव्य जानता हो, मृत्यु कारित करने का नहीं था।
स्पष्टीकरण-
1—वह व्यक्ति, जो किसी दूसरे व्यक्ति को, जो किसी विकार रोग या अंगशैथिल्य से ग्रस्त है, शारीरिक क्षति कारित करता है और तद्द्वारा उस दूसरे व्यक्ति की मृत्यु त्वरित कर देता है, उसकी मृत्यु कारित करता है, यह समझा जाएगा।
2–जहां कि शारीरिक क्षति से मृत्यु कारित की गई हो, वहां जिस व्यक्ति ने, ऐसी शारीरिक क्षति कारित की हो, उसने वह मृत्यु कारित की है, यह समझा जाएगा, यद्यपि उचित उपचार और कौशलपूर्ण चिकित्सा करने से वह मृत्यु रोकी जा सकती थी।
3–मां के गर्भ में स्थित किसी शिशु की मृत्यु कारित करना मानव वध नहीं है। किन्तु किसी जीवित शिशु की मृत्यु कारित करना आपराधिक मानव वध की कोटि में आ सकेगा, यदि उस शिशु का कोई भाग बाहर निकल आया हो, यद्यपि उस शिशु ने श्वास न ली हो या वह पूर्णत: उत्पन्न न हुआ हो।
IPC 300 IN HINDI | आईपीसी की धारा 300 क्या है?
IPC 300 IN HINDI- हत्या
धारा 300 क्या है– एतस्मिन् पश्चात् अपवादित दशाओं को छोड़कर आपराधिक मानव वध हत्या है, यदि वह कार्य, जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई हो, मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया हो, अथवा
दूसरा–यदि वह ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से किया गया हो जिससे अपराधी जानता हो कि उस व्यक्ति को मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है जिसको वह अपहानि कारित की गई है, अथवा
तीसरा–यदि वह किसी व्यक्ति को शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से किया गया हो और वह शारीरिक क्षति, जिसके कारित करने का आशय हो, प्रकृति के मामूली अनुक्रम में मृत्यु कारित करने के लिए पर्याप्त हो, अथवा
चौथा– यदि कार्य करने वाला व्यक्ति यह जानता हो कि वह कार्य इतना आसन्न संकट है कि पूरी अधिसंभाव्यता है कि वह मृत्यु कारित कर ही देगा या ऐसी शारीरिक क्षति कारित कर ही देगा जिससे मृत्यु कारित होना संभाव्य है और वह मृत्यु कारित करने या पूर्वोक्त रूप की क्षति कारित करने की जोखिम उठाने के लिए किसी प्रतिहेतु के बिना ऐसा कार्य करे।
दृष्टांत-
(क) य को मार डालने के आशय से क उस पर गाली चलाता है परिणामस्वरूप य मर जाता है। क हत्या करता है।
(ख) क यह जानते हुए कि य ऐसे रोग से ग्रस्त है कि सम्भाव्य है कि एक प्रहार उसकी मृत्यु कारित कर दे, शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से उस पर आघात करता है। य उस प्रहार के परिणामस्वरूप मर जाता है। क हत्या का दोषी है, यद्यपि वह प्रहार किसी अच्छे स्वस्थ व्यक्ति की मृत्यु करने के लिए प्रकृति के मामूली अनुक्रम में पर्याप्त न होता। किन्तु यदि क, यह न जानते हुए कि य किसी रोग से ग्रस्त है, उस पर ऐसा प्रहार करता है, जिससे कोई अच्छा स्वस्थ व्यक्ति प्रकृति के मामूली अनुक्रम में न मरता, तो यहां, क, यद्यपि शारीरिक क्षति कारित करने का उसका आशय हो, हत्या का दोषी नहीं है, यदि उसका आशय मृत्यु कारित करने का या ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने का नहीं था, जिससे प्रकृति के मामूली अनुक्रम में मृत्यु कारित हो जाए।
(ग) य को तलवार या लाठी से ऐसा घाव क साशय करता है, जो प्रकृति के मामूली अनुक्रम में किसी मनुष्य की मृत्यु कारित करने के लिए पर्याप्त है, परिणामस्वरूप य की मृत्यु कारित हो जाती है, यहां क हत्या का दोषी है, यद्यपि उसका आशय य की मृत्यु कारित करने का न रहा हो।
(घ) क किसी प्रतिहेतु के बिना व्यक्तियों के एक समूह पर भरी हुई तोप चलाता है और उनमें से एक का वध कर देता है। क हत्या का दोषी है, यद्यपि किसी विशिष्ट व्यक्ति की मृत्यु कारित करने की उसकी पूर्वचिन्तित परिकल्पना न रही हो।
अपवाद 1–
आपराधिक मानव वध कब हत्या नहीं है आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है, यदि अपराधी उस समय जबकि वह गम्भीर और अचानक प्रकोपन से आत्म संयम की शक्ति से वंचित हो, उस व्यक्ति की, जिसने कि वह प्रकोपन दिया था, मृत्यु कारित करे या किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु भूल या दुर्घटनावश कारित करे।
ऊपर का अपवाद निम्नलिखित परंतुकों के अध्यधीन है
पहला- यह कि वह प्रकोपन किसी व्यक्ति का वध करने या अपहानि करने के लिए अपराधी द्वारा प्रतिहेतु के रूप में ईप्सित न हो या स्वेच्छया प्रकोपित न हो।
दूसरा- यह कि वह प्रकोपन किसी ऐसी बात द्वारा न दिया गया हो जो कि विधि के पालन में या लोक सेवक द्वारा ऐसे लोक सेवक की शक्तियों के विधिपूर्ण प्रयोग में, की गई हो।
तीसरा- यह कि वह प्रकोपन किसी ऐसी बात द्वारा न दिया गया हो, जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार और विधिपूर्ण प्रयोग में की गई हो।
स्पष्टीकरण– प्रकोपन इतना गम्भीर और अचानक था या नहीं कि अपराध को हत्या की कोटि में जाने से बचा दे, यह तथ्य का प्रश्न है।
दृष्टांत
(क)- य द्वारा दिए गए प्रकोपन के कारण प्रदीप्त आदेश के असर में म का, जो य का शिशु है, क साशय वध करता है। यह हत्या है, क्योंकि प्रकोपन उस शिशु द्वारा नहीं दिया गया था और उस शिशु की मृत्यु उस प्रकोपन से किए गए कार्य को करने में दुर्घटना या दुर्भाग्य से नहीं हुई है।
(ख) क को म गम्भीर और अचानक प्रकोपन देता है। क इस प्रकोपन से म पर पिस्तौल चलाता है, जिसमें न तो उसका आशय य का, जो समीप ही है किन्तु दृष्टि से बाहर है, वध करने का है, और न वह यह जानता है कि सम्भाव्य है कि वह य का वध कर दे । क, य का वध करता है। यहां क ने हत्या नहीं की है, किन्तु केवल आपराधिक मानव वध किया है।
(ग) य द्वारा, जो एक बेलिफ है, क विधिपूर्वक गिरफ्तार किया जाता है। उस गिरफ्तारी के कारण क को अचानक और तीव्र आवेश आ जाता है और वह य का वध कर देता है। यह हत्या है, क्योंकि प्रकोपन ऐसी बात द्वारा दिया गया था, जो एक लोक सेवक द्वारा उसकी शक्ति के प्रयोग में की गई थी।
(घ) य के समक्ष, जो एक मजिस्ट्रेट है, साक्षी के रूप में क उपसंजात होता है। य यह कहता है कि वह क के अभिसाक्ष्य के एक शब्द पर भी विश्वास नहीं करता और यह कि क ने शपथ-भंग किया है। क को इन शब्दों से अचानक आवेश आ जाता है और वह य का वध कर देता है। यह हत्या है।
(ङ) य की नाक खींचने का प्रयत्न क करता है। य प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में ऐसा करने से रोकने के लिए क को पकड़ लेता है। परिणामस्वरूप क को अचानक और तीव्र आवेश आ जाता है और वह य का वध कर देता है। यह हत्या है, क्योंकि प्रकोपन ऐसी बात द्वारा दिया गया था जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में की गई थी।
(च) ख पर य आघात करता है। ख को इस प्रकोपन से तीव्र क्रोध आ जाता है। क, जो निकट ही खड़ा हुआ है, ख के क्रोध का लाभ उठाने और उससे य का वध कराने के आशय से उसके हाथ में एक छुरी उस प्रयोजन के लिए दे देता है। ख उस छुरी से य का वध कर देता है, यहां ख ने चाहे केवल आपराधिक मानव वध ही किया हो, किन्तु क हत्या का दोषी है।
अपवाद 2—
आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है, यदि अपराधी, शरीर या सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार को सद्भावपूर्वक प्रयोग में लाते हुए विधि द्वारा उसे दी गई शक्ति का अतिक्रमण कर दे, और पूर्वचिन्तन बिना और ऐसी प्रतिरक्षा के प्रयोजन से जितनी अपहानि करना आवश्यक हो उससे अधिक अपहानि करने के किसी आशय के बिना उस व्यक्ति की मृत्यु कारित कर दे जिसके विरुद्ध वह प्रतिरक्षा का ऐसा अधिकार प्रयोग में ला रहा हो।
दृष्टांत-
क को चाबुक मारने का प्रयत्न य करता है, किन्तु इस प्रकार नहीं कि क को घोर उपहति कारित हो । क एक पिस्तौल निकाल लेता है। य हमले को चालू रखता है। क सद्भावपूर्वक यह विश्वास करते हुए कि वह अपने को चाबुक लगाए जाने से किसी अन्य साधन द्वारा नहीं बचा सकता है गोली से य का वध कर देता है। क ने हत्या नहीं की है, किन्तु केवल आपराधिक मानव वध किया है।
अपवाद 3—
आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है, यदि अपराधी ऐसा लोक सेवक होते हुए, या ऐसे लोक सेवक को मद्द देते हुए, जो लोक न्याय की अग्रसरता में कार्य कर रहा है. उसे विधि द्वारा दी गई शक्ति से आगे बढ़ जाए, और कोई ऐसा कार्य करके जिसे वह विधिपूर्ण और ऐसे लोक सेवक के नाते उसके कर्तव्य के सम्यक्, निर्वहन के लिए आवश्यक होने का सद्भावपूर्वक विश्वास करता है, और उस व्यक्ति के प्रति, जिसकी कि मृत्यु कारित की गई हो, वैमनस्य के बिना मृत्यु कारित करे।
अपवाद 4-
आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है, यदि वह मानव वध अचानक झगड़ा जनित आवेश की तीव्रता में हुई अचानक लड़ाई में पूर्वचिन्तन बिना और अपराधी द्वारा अनुचित लाभ उठाए बिना या क्रूरतापूर्ण या अप्रायिक रीति से कार्य किए बिना किया गया हो।
स्पष्टीकरण-ऐसी दशाओं में यह तत्वहीन है कि कौन पक्ष प्रकोपन देता है या पहला हमला करता है।
अपवाद 5—
आपराधिक मानव वध हत्या नहीं है, यदि वह व्यक्ति जिसकी मृत्यु कारित की जाए, अठारह वर्ष से अधिक आयु का होते हुए, अपनी सम्मति से मृत्यु होना सहन करे, या मृत्यु की जोखिम उठाए।
दृष्टांत- य को, जो अठारह वर्ष से कम आयु का है, उकसा कर क उससे स्वेच्छया आत्महत्या करवाता है। यहां, कम उम्र होने के कारण य अपनी मत्य के लिए सम्मति देने में असमर्थ था, इसलिए क ने हत्या का दुष्प्रेरण किया है।
IPC 301 IN HINDI | आईपीसी 301 क्या है?
IPC 301 IN HINDI- जिस व्यक्ति की मृत्यु कारित करने का आशय था उससे भिन्न व्यक्ति की मृत्यु करके आपराधिक मानव वध
धारा 301 क्या है–यदि कोई व्यक्ति कोई ऐसी बात करने द्वारा, जिससे उसका आशय मृत्यु कारित करना हो, या जिससे वह जानता हो कि मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है, किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करके, जिसकी मृत्यु कारित करने का न तो उसका आशय हो और न वह यह संभाव्य जानता हो कि वह उसकी मृत्यु कारित करेगा, आपराधिक मानव वध करे, तो अपराधी द्वारा किया गया आपराधिक मानव वध उस भांति का होगा जिस भांति का वह होता, यदि वह उस व्यक्ति की मृत्यु कारित करता जिसकी मृत्यु कारित करना उसके द्वारा आशयित था या वह जानता था कि उस द्वारा उसकी मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है।
IPC SECTION 302 IN HINDI | धारा 302 क्या है?
IPC 302 IN HINDI- हत्या के लिए दंड
जो कोई हत्या करेगा, वह मृत्यु या (आजीवन कारावास) से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।