धारा 13B क्या है– हिन्दू धर्म में तलाक का कोई प्रावधान नहीं था क्योंकि विवाह एक आवश्यक संस्कार माना जाता था परंतु वर्तमान हिन्दू विधि (हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955) ने तलाक के संवन्ध में क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिया है अधिनियम की धारा 13B विवाह विच्छेद यानि तलाक के विषय में बताती है-
परस्पर सम्मति से तलाक या विवाह विच्छेद-
विवाह विधि संशोधन अधिनियम 1976 की धारा 13B के अंतर्गत विवाह के पक्षकार पारस्परिक सहमति से विवाह का विघटन कर सकते है परंतु शर्त यह है कि उन्हे एक वर्ष या इससे अधिक समय तक एक साथ नहीं रहना चाहिए।
संशोधन अधिनियम 1976 के अंतर्गत 13A दी गयी है जिसके अनुसार”यदि विवाह विच्छेद या तलाक की याचिका दायर की गयी हो तो धारा 13 के अधीन परित्याग या प्रकल्पित मृत्यु के आधारो को छोड़कर यदि न्यायालय याचिका से संतुष्ट हो तो तलाक की डिक्री कर सकता है।
तलाक या विवाह विच्छेद से संवन्धित महत्वपूर्ण वाद-
“ के॰ कृष्णा मूर्ति राव बनाम कमला जी के वाद में कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा यह कहा गया है कि इस धारा के अधीन पति-पत्नी द्वारा संयुक्त याचिका दायर करने पर निम्नलिखित बाते साबित कि जाती हो-
- विवाह के पक्षकार एक वर्ष या अधिक समय से अलग रह रहे हो।
- वे आपस में एक साथ नहीं रह रहे हो।
- उन्होने आपस में समझौता कर लिया कि वे विवाह विच्छेद करेगे।
- विवाह विच्छेद या तलाक कि सहमति किसी ज़ोर दबाब अथवा कष्ट अथवा जबरदस्ती के प्रभाव में दी गयी हो।
IPC SECTION 384 IN HINDI
न्यायालय द्वारा तलाक के विषय में ध्यान रखने योग्य बाते-
- इन मामलो में न्यायालय को विशेष ध्यान देना चाहिए कि पत्नी कि सहमति ज़ोर-दबाब में अथवा किसी अनुचित प्रभाव में डालकर नहीं ली गयी हो।
- न्यायालय का दायित्व और भी बढ़ जाता है जहां विवाह पक्षकार विशेष कर पत्नी अशिक्षित हो।
तलाक का आधार– वे अधिकार जो पति पत्नी को समान रूप से प्राप्त हो-
- जारता (Adultery)
- क्रूरता (cruelty)
- अभित्याग (desertion)
- धर्मपरिवर्तन (conversion)
- मस्तिष्क की विक्रता
- कोढ़
- यौन रोग
- संसार परित्याग
- प्रकल्पित मृत्यु
- न्यायिक प्रथक्काव
IPC SECTION 34 IN HINDI
अंतिम शब्द-
आज मैंने आपको हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13B के विषय में बताया जो तलाक से संवन्धित है मौजे उम्मीद है की आपको मेरे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आई होगी आपके कोई सवाल हो तो आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है धन्यबाद।
सर सिर्फ नशा करना तलाक का आधार हो सकता है।