CRPC धारा 125 की क्या है-माता-पिता, पत्नी एवं बालको के भरण पोषण पर विधि का गहरा प्रभाव पड़ा है तत्सम्बन्धित विधि ने समाज में क्रांति कारी परिवर्तन किया है।
अपने वृद्ध माता पिता, पत्नी एवं बालको का भरण पोषण आरंभ से ही प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य माना गया है। आइये जानते है दंडप्रक्रिया संहिता (CRPC) के अंतर्गत भरण पोषण के बारे में क्या प्रावधान है।
भरण पोषण पाने के लिए अधिकृत व्यक्ति-
crpc धारा 125 के अंतर्गत निम्नलिखित व्यक्ति को हकदार माना गया है।
- पत्नी
- अवयस्क संतान
- शारीरिक या मानसिक दुर्बलता बाली संतान
- माता-पिता
पत्नी कब भरण पोषण की हकदार नहीं-
crpc धारा 125(3) के अंतर्गत निम्न लिखित परिस्थितियो में पत्नी भरण पोषण की हकदार नहीं है-
- जब वह जारता में रहने लग जाए
- बिना कारण के पति के साथ रहने से इंकार कर दे।
- जब वह पारस्परिक सहमति से अलग रहने लग जाए।
भरण पोषण के लिए आवेदन कहाँ करे-
धारा 126 के अंतर्गत भरण पोषण के लिए आवेदन किसी ऐसे जिले में किया जा सकता है-
- जहां आवेदक है।
- जहां वह या उसकी पत्नी रहती है।
- जहां उसने अंतिम बार अपनी या अधर्मक संतान के साथ निवास किया है।
भरण पोषण का आदेश कब रद्द किया जा सकता है-
धारा 127(3) के अंतर्गत भरण पोषण का आदेश निम्नकित परिस्थितियों में रद्द किया जा सकता है।
- जब तलाक लेने के बाद पत्नी दूसरी शादी कर ले।
- जब रूढ़ि या प्रथा के अनुसार राशि प्राप्त कर ले।
- जब पत्नी भरण पोषण की राशि खुद त्याग दे।
कार्यवाही के खर्चे-
दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम 2001 द्वारा संहिता की crpc धारा 125 में एक क्रांतिकारी संशोधन किया गया है अब न्यायालय द्वारा भरण पोषण अथवा अन्तरिम भरण पोषण के साथ साथ कार्यवाही के खर्चे का आदेश भी दिया जा सकता है।
समान्यतया पूछे गए प्रश्न-
crpc धारा 125 कब लगती है?
पत्नी पुत्र और माता पिता के भरण पोषण करने के संबन्ध में।
पत्नी कब भरण पोषण की हकदार नहीं रखती?
जब पत्नी ने दूसरी शादी कर ली हो या वह खुद लेने से इंकार कर दे या वह किसी समझौते से अलग रह रही हो तो पत्नी भरण पोषण मांगने के लिए हकदार नहीं होती।
कौन भरण पोषण का मांगने का अधिकारी होता है।
पत्नी अवयस्क संतान शारीरिक या मानसिक दुर्बलता बाली संतान माता-पिता।
अंतिम शब्द-
आज मेंने आपको crpc की धारा 125 की जानकारी दी है अगर आपका कोई सवाल हो तो आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है धन्यबाद।