Accident के दावों में निपटान में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दुर्घटना के तुरंत बाद पहली रिपोर्ट दर्ज करने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दावा प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू कि जा सके।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एस अब्दुल और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की खंडपीठ ने प्रत्येक राज्यों और केंद्र शासित राज्यों को कहा कि वह 3 माह में प्रत्येक पुलिस थाने में एक विशेष पुलिस दस्ता विकसित करें और उसमे प्रशिक्षित पुलिस कर्मी को शामिल करें ताकि दुर्घटना से संवन्धित मामलों में दावा प्रक्रिया जल्द जल्द शुरू की जा सके।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक राज्य और संघ राज्य के पुलिस महानिदेशक यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक पुलिस थाने में विशेष इकाई विकसित करेंगे जो Motor Vehicles Act का अनुपालन करके दावा प्रक्रिया को जल्द जल्द शुरू करेंगे।
यह आदेश 9 सितंबर, 2018 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर आया था, जिसमें मृतक के आश्रितों द्वारा दावा याचिका की अनुमति दी गई थी और 7% ब्याज के साथ 31,90,000/- रुपये का मुआवजा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिच कर दिया था और उच्च न्यायालय के फैसले कि पुष्टि करते हुए कहा कि जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई वाहन का मालिक स्वयं करें, क्योंकि वाहन मालिक ने बीमा कंपनी के नियम का उल्लंघन करके वाहन का संचालन किया है।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राज्य प्राधिकरण एमवी के प्रावधानों को पूरा करने के उद्देश्य से हितधारकों के समन्वय और सुविधा के लिए एक संयुक्त वेब पोर्टल/प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिए उचित कदम उठाएंगे। किसी भी तकनीकी एजेंसी के साथ समन्वय में संशोधन अधिनियम और नियम और बड़े पैमाने पर जनता को सूचित किया जाए।