गुजरात हाईकोर्ट ने एक प्रेम विवाह करने वाली पुत्री को (जिसने अपने परिवार के विच्छेद पाकर शादी की) मृत व्यक्ति की संपत्ति का कब्जा व हस्तांतरित करने का आदेश दिया है।
कोर्ट का मानना है कि महिलाओं का संपत्ति पर अधिकार सुरशित करना चाहिए। अन्यथा उसके अपने पसंद के जीवन साथी से विवाह करके गुणवत्ता पूर्व जीवन के सवैधानिक अधिकार का हनन होगा।
इसी के साथ कोर्ट ने स्थानीय पुलिस और विधिक सेवा प्राधिकारक को दो घर एक दुकान और एक कृषि भूमि को उस महिला के नाम करने के लिए आदेश दिया है।
संपत्ति के अधिकार से संवन्धित संवैधानिक उपबंद-
भारत का संविधान संपत्ति के अधिकार का उपबंद करता है। संविधान के अनुच्छेद 300 A के अंतर्गत यह उपवंद है कि किसी भी नागरिक को अवैध (जो विधि के प्रतिकूल है ) रूप से संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कई फैसलों में यह भी कहा है कि अब पुत्री को भी अपने पिता कि संपत्ति पर अधिकार है।